करवा चौथ व्रत विधि आसान और सरल शव्दों में : karwa chauth vrat vidhi

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karwa chauth vrat vidhi करवा चौथ व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, कथा, सरगी में क्या क्या ग्रहण करें, पूजा विधि, इससे जुड़ी मान्यताएं, पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

Table of Contents

karwa chauth vrat vidhi (करवा चौथ व्रत की पूजा विधि)

karwa chauth vrat vidhi : करवा चौथ का पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्णा पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है, इस वर्ष यह त्यौहार 1 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा, यह पर्व हिन्दू स्त्रियां मनाती हैं, और यह उत्तर पूर्वी भारत में बहुत धूम धाम से और अधिक मनाया जाता है, इस दिन सभी स्त्रियां निर्जला व्रत करती है और सज सांवर कर सोलह श्रृंगार करके शाम के समय भगवान भोलेनाथ एवं माँ पार्वती की पूजा करती है और उनसे अपने पति की लम्वी उम्र की कामना करती है, यह वृत्त भी निर्जला एकादशी की भांति ही बिना जल ग्रहण किये किया जाता है।

प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें:

करवा चौथ के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करें । अब इसके बाद घर के मंदिर में जाकर करवा चौथ का संकल्प लें। संकल्प के समय कहें-

“हे करवा चौथ माता मैं आज आपका व्रत कर रही हूं, मेरे पति को दीर्घायु दें एवं हमारे दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाएं।”

करवा चौथ 2023 में कब मनाया जाएगा

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर 2023 को रात 9.30 मिनट पर शुरू होगी, और 1 नवंबर 2023 को रात 9.19 मिनट पर चतुर्थी तिथि की समाप्ति होगी.

इस बार का करवा चौथ 1 नवंबर 2023 बुधवार को रखा जाएगा |

करवा चौथ मुहूर्त 2023 (Karwa Chauth Muhurat 2023)

करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को करवा चौथ माता, शिव पार्वती और गणपति की पूजा करती है और चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देती है.

करवा चौथ व्रत का समय – 06:36 AM से 08:26 PM

करवा चौथ पूजा का मुहूर्त – 05.44 PM से 07.02 PM

चन्द्रमा निकलने का समय – 08:26 PM

karwa chauth vrat pooja and rituals

प्रातः सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी ग्रहण करनी चाहिए । सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें, इसके बाद अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लें, और उनके द्वारा दी गई सरगी को ग्रहण करें। सरगी में आने वाली सामग्री है फल,दूध, ड्राई फ्रूट्स और मिठाई इत्यादि चीजों को सरगी में सेवन किया जाता है।

पूजा के लिए एक चौकी पर गेहूं, उसके ऊपर चंद्रमा की मूर्ति या चित्र रखें:

करवा चौथ की पूजा के लिए एक चौकी पर गेहूं रखकर उस पर चंद्र भगवान जी की मूर्ति या चित्र रखें। चंद्रमाजी को अर्घ्य देने के लिए एक तांबे का लोटा जल, गंगा जल, दूध से भरकर रखें।

करवा चौथ की कथा पढ़ें या सुनें:

चंद्रमाजी की पूजा करने के बाद एवं अर्घ्य देने से पहले करवा चौथ माता की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए । करवा चौथ की कथा में कैसे करवा चौथ का व्रत करने से पति की रक्षा होती है यह बताया गया है, साथ ही इसमें होने वाले त्रुटि (गलती) से क्या नुकसान हो सकता है, सात भाइयों की बहिन की कहानी के माध्यम से बड़े ही सरल तरीके से समझाया गया है |


पूजा के बाद चंद्रमा भगवान को अर्घ्य दें (चंद्रमाजी को यह सब अर्पित करें)

करवा चौथ की कथा पढ़ने या सुनने के बाद चंद्र भगवान को अर्घ्य दें। करवे में जल के साथ गंगा जल दूध मिलकर रखना चाहिए और रात को पूजा के समय इससे चंद्र भगवान को अर्ध्य देना चाहिए, अर्घ्य देते समय चंद्रमा को अक्षत, रोली, सिंदूर, जल, गंगा जल, दूध, दही, कुमकुम, शहद, घी और चीनी अर्पित करें ।

अंत में पति के चरण छूकर आशीर्वाद लें एवं व्रत को पूरा करें

चंद्र भगवान को अर्घ्य देने के बाद पति के चरण छूकर आशीर्वाद लें, और फिर व्रत तोड़ें, व्रत तोड़ने से पहले पति को पानी पिलाएं और फिर खुद पानी पीएं । पति को भोजन करने के बाद खुद भी भोजन करें और उसके पश्चात मोहल्ला पड़ोस में व्रत रखने वाली स्त्रियों को करवा चौथ की बधाई देकर इस व्रत को संपन्न करें

करवा चौथ व्रत पूजा विधि के लाभ

करवा चौथ का व्रत करने से निम्न लिखित लाभ होते हैं:

  • पति की किसी आने वाले अपशगुन या संकट से रक्षा होती है ।
  • दाम्पत्य जीवन सुख और समृद्धि से भर जाता है।
  • संतान सुख की प्राप्ति होती है ।
  • सौभाग्य बढ़ता है ।
  • आरोग्य अच्छा रहता है ।

करवा चौथ व्रत पूजा विधि के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन व्रत होता है। इसलिए इस व्रत को करने से पहले बीमार या गर्भवती स्त्री को तो अपने डॉक्टर से सलाह ले लेना चाहिए या सामान्य स्त्रियां भी सलाह लेकर इस व्रत को कर सकती है ।
  • व्रत के दौरान पानी, दूध या शरबत नहीं पीना चाहिए। यह व्रत निर्जला व्रत होता है।
  • व्रत के दौरान भोजन आदि नहीं करना चाहिए।
  • व्रत के दिन पति – पत्नी को संबंध नहीं बनाने चाहिए।
  • व्रत के दिन चंद्रमा उदय होने तक भोजन नहीं करना चाहिए।
  • व्रत के दिन चंद्रमा उदय होने के बाद ही पति के चरण छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए और फिर पति के हाथ से जल ग्रहण करके ही व्रत तोड़ना चाहिए।

करवा चौथ व्रत पूजा विधि का महत्व

करवा चौथ हिन्दू धर्म का व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है । इस व्रत को सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत को करने से पति – पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास बढ़ता है । करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए सौभाग्य बढ़ाने वाला व्रत भी माना जाता है। इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती है, अच्छे से सजती संवारती है और रात को शिव भगवान, पार्वती माता, गणेश, कार्तिकेय, चंद्र भगवान, करवा चौथ माता की पूजा करती है।

करवा चौथ व्रत पूजा विधि से जुड़ी मान्यताएं

करवा चौथ व्रत पूजा विधि से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, इनमें से कुछ मान्यताएं इस प्रकार हैं,

  • ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत करने से पति की संकट आदि से
  • रक्षा होती है और उसकी आयु लंबी होती है।
  • ऐसा भी माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत करने से दाम्पत्य जीवन सुख और समृद्धि से भर जाता है ।
  • करवा चौथ व्रत करने से गुणवान संतान की भी प्राप्ति होती है ।
  • करवा चौथ व्रत करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है।
  • ऐसा भी माना जाता है कि करवा चौथ व्रत करने से महिलाओं का आरोग्य (बीमारियां दूर) अच्छा रहता है।

करवा चौथ का व्रत एक बहुत ही पवित्र व्रत है। इस व्रत को करने से महिलाओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनका जीवन सुखमय होता है।

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karwa chauth vrat vidhi FAQ’s

Q : करवा चौथ 2023 में कब मनाया जाएगा ?

Ans : 1 नवंबर बुधवार को

Q : करवा चौथ कब मनाया जाता है?

Ans : करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है।

Q : करवा चौथ के दिन किसकी पूजा की जाती है ?

Ans : दिन में भगवान शिव एवं माता पार्वती और गणेश एवं कार्तिकेय की एवं रात में चाँद भगवान की पूजा की जाती है।

Q : करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता हैं ?

Ans : सूर्योदय से पहले स्नान करके सरगी ग्रहण की जाती है, फिर दिनभर अन्न और जल कुछ भी नहीं लेते हैं, रात को चाँद देवता को देखने के बाद व्रत खोलते है।

Q : करवा चौथ व्रत क्यों किया जाता है ?

Ans : पति की लंबी आयु एवं दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए

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